मुख्यमंत्री राजश्री योजना
🧭 परिचय और पृष्ठभूमि
“मुख्यमंत्री राजश्री योजना” राजस्थान सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या के विरोध और बालिकाओं के स्वास्थ्य तथा शिक्षा को बढ़ावा देना है। यह योजना 1 जून 2016 और उसके बाद जन्मी बालिकाओं को जन्म से लेकर बारहवीं तक आर्थिक समर्थन के लिए जारी की गई है।
राजस्थान में लड़कियों के प्रति समाज में बनी विद्रूप धारणाओं को बदलते हुए, सरकार ने यह योजना कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, लिंग अनुपात में सुधार लाने और लड़कियों के जन्म और शिक्षा को सम्मान जनक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना है
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या बाद में सत्या देव सिंह (2025) द्वारा प्रेरित होकर यह योजना शुरू की गई, ताकि बालिकाओं की पहचान हो, उनके स्वास्थ्य परीक्षण और शिक्षा की प्रक्रिया में बाधा न आए।
🎯 उद्देश्य
लड़कियों का जन्म सुनिश्चित करना
पहली किश्त के रूप में जन्मानुसार राशि सुनिश्चित होकर परिवारों में बेटी के जन्म पर सकारात्मक उत्साह उत्पन्न होता है
स्वास्थ्य की सुरक्षा
एक वर्ष की टीकाकरण पर दूसरी किश्त देना, बालिकाओं की स्वास्थ्य निगरानी को बढ़ावा देता है, जिससे बचपन में बीमारियों और मृत्यु दर को रोकने में सहायता मिलती है
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शिक्षा प्रोत्साहन
पहली, छठी, दसवीं और बारहवीं कक्षा के प्रवेश/उत्तीर्ण होने पर किश्तें देने से शिक्षा को प्रोत्साहन मिलता है, जिससे बालिकाओं की स्कूल उपस्थिति एवं पढ़ाई जारी रहती है
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लिंग अनुपात और लैंगिक समानता
इस आर्थिक सहायता से समाज में कन्या भ्रूण हत्या और लिंग भेदभाव को चुनौती मिलती है, और लिंग अनुपात में सुधार की दिशा में यह महत्वपूर्ण योगदान देती है ।
वित्तीय समावेशन और महिला सशक्तिकरण
राशि सीधे माता-पिता के बैंक खाते में पहुँचाने से वित्तीय निर्भरता और करप्शन को रोका जाता है, एवं महिलाओं में आर्थिक सक्रियता को बढ़ावा मिलता है ।
🧩 योजना की विशेषताएँ और लाभ
कुल सहायता राशि – ₹50,000 (छः किश्तों में)
किश्त क्रम अवसर राशि (₹)
1 जन्म पर 2,500
2 एक वर्ष का टीकाकरण 2,500
3 पहली कक्षा में प्रवेश 4,000
4 छठी कक्षा में प्रवेश 5,000
5 दसवीं कक्षा में प्रवेश 11,000
6 बारहवीं उत्तीर्ण/प्रवेश 25,000
कुल ₹50,000 की राशि सीधे माता-पिता के बैंक खाते में डीबीटी (DBT) के माध्यम से हस्तांतरित की जाती है
कुल मिलाकर यह छह चरण की व्यवस्था सरकार द्वारा पारदर्शी और योजनाबद्ध नीति के अंतर्गत की गई है।
👥 पात्रता मानदंड
राजस्थान की स्थायी नागरिकता – आवेदन केवल उन्हीं के लिए संभव है जिनकी निवासीता राजस्थान में प्रमाणित है ।
जन्म तिथि – बालिका का जन्म 1 जून 2016 के बाद होना चाहिए
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संस्थागत प्रसव – पहली दो किश्तों का लाभ केवल अस्पताल या जननी सुरक्षा योजना से जुड़ी संस्थाओं में जन्म लेने वाली बालिकाओं को मिलेगा
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दो से अधिक पुत्रों की सीमा – तीसरी से छठी किश्तों के लिए परिवार में अधिकतम दो जीवित बेटियाँ होनी चाहिए
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आवश्यक दस्तावेज – आधार, भामाशाह कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण, मातृ–शिशु स्वास्थ्य कार्ड (ममता कार्ड / PCTS ID), स्कूल श्रद्धा आदि आवश्यक हैं
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एकल माँ या अभाव – यदि बच्ची की मृत्यु हो जाती है, तो अगली बालिका आवेदन पात्र है, इसके लिए भी जातीय प्रमाण पत्रों की व्यवस्था है
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📝 आवेदन प्रक्रिया (ऑनलाइन/ऑफ़लाइन)
ऑफ़लाइन प्रक्रिया
आंगनवाड़ी / आशा कार्यकर्ता गर्भवती से डेटा एकत्र करें जैसे कि भामाशाह और बैंक खाते की जानकारी
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भर्ती के पश्चात लाभार्थी को जन्म पर यूनिक आईडी दी जाती है
उक्त जानकारी देवीशाला/आंगनवाड़ी केंद्र या प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में दर्ज की जाती है।
किश्तों के आवेदन के लिए विभाग स्वचालित सत्यापन (जैसे स्कूल प्रवेशस्तिथि, टीकाकरण) करता है।
ऑनलाइन प्रक्रिया
यह नियमिततः CM हेल्पलाइन, RCH / PCTS पोर्टल या सरकार अपराध की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है
स्टेप्स:
पोर्टल पर लॉगिन।
बेटी की डिटेल, जन्म, बैंक खाता व टीकाकरण की जानकारी भरें।
आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें (आधार आदि)।
सत्यापन के पश्चात राशि डीबीटी के जरिए मिळती है।
✅ निष्पादन और उपलब्धियाँ
योजना की शुरुआत से अब तक हजारों बेटियाँ लाभान्वित हो चुकी हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस योजना से २०.०० लाख से भी अधिक बेटियाँ लाभान्वित हुईं (वाह्य रूप से संकलित)।
पहली दो किश्तें सार्वजानिक में स्वत: ट्रांसफर, जबकि आगे की किश्तों के लिए दस्तावेज़ सत्यापन से पारदर्शिता सुनिश्चित होती है
अगर पहली या दूसरी किश्त से पहले बच्ची की मृत्यु होती है, तो अगली जन्मी बच्ची लाभार्थी बन जाती है – यह सोशल सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है ।
⚠️ चुनौतियाँ और सुधार के अवसर
सूचना का अभाव: ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में जानकारी की कमी के कारण कई पात्र बच्चियाँ योजना से वंचित रह जाती हैं।
दस्तावेज़ सत्यापन में देरी: ऑनलाइन आधिकारिक पोर्टल–डेटा अपलोड करने में कॉम्प्लेक्स प्रक्रियाएँ होती हैं।
दो से अधिक बच्चियों की सीमा: कई परिवारों में इस सीमा के कारण बच्चियाँ असमर्थित हो जाती हैं।
प्रवेश/उत्तीर्णता सत्यापन: कक्षा 10 और 12 की राशि लेने के लिए प्रमाणित school records प्राप्त करना मुश्किल होता है।
डीबीटी सुविधा की गड़बड़ियां: बैंक खाते में राशि आने में विलंब या खाता विवरण गलत होने की समस्याएँ सामने आती हैं।
सुधार:
ग्राम स्तर पर सूचना प्रसार, कार्यशाला, पंचायत अभियानों का आयोजन।
फील्ड वर्कर्स (आंगनवाड़ी, आशा) की प्रशिक्षित संलग्नता।
पोर्टल में मोबाइल OTP, ई-पासपोर्ट आईडी आदि के ज़रिये आसान सत्यापन प्रणाली।
स्कूल-कालेज स्तर पर छात्र अभिलेखों का सुगम संरक्षित रिकॉर्ड और कार्ड वितरित करना।
एक केंद्रीय हेल्पलाइन प्रणाली और grievance redressal मोबाइल ऐप/पोर्टल।
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